Wednesday, 23 November 2011

मेरा हर सवेरा नयी जिंदगी है,
क्योंकि ना चाहते हुए भी ये बात बिलकुल सही है,
कि हर सुबह से मैं अपनी नयी जिंदगी शुरू करता हूँ और पूरे दिन में उसे जीने की कोशिश....
जब लगता है कि आज जीत चुका हूँ तो रात हो जाती है.......
और जब लाख जतन कर हार जाता हूँ तो अगली सुबह का इंतजार बढ़ जाता है.....
मायने जीत या हार के हैं भी और नही भी..
फिर भी हर रोज जिंदगी को साँसों की हरकत भर से कुछ ज्यादा समझ लेना ये निशानी है कि इन रंगों से अठखेलियाँ करना ना सिर्फ मुझे सुकून देगा बल्कि खुद ये रंग जिस रंगोली में बिछेंगे जिस आँगन उतरेंगे, नए और ताज़ा तराने वहाँ कुछ जरूर छूट जायेंगे.........
तमाम उम्र तमामों की बीत भले रही होगी क्या वाकई? मेरी फ़िक्र में?
कहीं मैं यूँ तो नही! वैसा या ऐसा कैसा हूँ?
पर मुझे ये चिंता कब होती है ये याद नही.......

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