मिलने का ना मिलने से गजब का नाता है......
अगर मिल सको तो मिलना नही चाहोगे, और जो ना मिल सको तो मिलने की तडप हमेशा झुलसाती है....
इश्क है भी इतना आसां समंदर नही कि वो हो ही जाये जो तुम् चाहो...
तमाम उम्र चौराहे पर चांदनी निहारते लैम्प पोस्ट के नीचे भी बीत सकती है या बर्फ की ठेली के पास उसके साथ गोला खाते हुए भी...........
लेकिन इतना तो तय है कि जो तुम्हारा जमीर तक तुम से ना करा पाए, जिसे करने में तुम्हारी आत्मा भी बेवफाई दे जाए,,,,,,,,,,,,,,,,,,
इश्क वो सब तुमसे करा देता है ...........................
सो इश्क जमीर से ऊपर है वजूद से ऊपर है........
इश्क इसीलिए परमात्म है ईश्वर है खुदा है......
कभी जो हम मिल पाते सुनहरी शामों को याद करते,
आँगन की टूटी हुई खाट पर ही सही,
पुरानी बात पर ही सही,
कुछ वक्त बर्बाद तो करते,
ऋतु का बर्ताव भले ही मोहक ना होता ना सही,
कुछ बूंद से ही सही, बारिश का एहसास तो करते,
नरम हाथो की तपिश भुला ना पाती गम सारे ना सही,
कुछ आंसुओं से मौसम आबाद तो करते,
जिंदगी इतनी कमजोर होगी सोचा ना था,
वरना यूँ अकेला छूट जाने की बात न करते.............