सूरज थक गया है....
इसे,
डूब जाने दो...
आँख नम् है,
भींग जाने दो...
शाम प्यासी है...
ढल जाने दो,
थोड़ी उदासी है,
बिखर जाने दो,...
तारों का रंज ठहरा,
झिलमिलाने दो...
दबे गुलाब मचल गए....
महमहाने दो...
खिड़कियाँ मौन हैं,
कुछ
हवा आने दो....
बेरंगी आसमान पर,
नए,
रंग,
छाने दो...
सवाल हो चुके हैं,
जवाब आने दो,
पूरी किताब हुयी,
हिसाब आने दो,...
उधड़ गया एकतारे का,
एकलौता तार भी,
धूल इस पार की,
पहुंची उस पार भी,
साँसे दो चार भी
ना मिल सकी उधर की,
आगे की बात हम ना
कह सके प्यार की....
अनत रूप अधिकार, ह्रदय अक्ष पर सर्प सा,
प्रेम पीर आधार, सौ प्रपंच की जद भले,
व्यापक व्याकुल प्रेम, जिनके हृद वे अति विकल,
किन्तु रसिक का नेम, दिय बाती सो जोड़ इहि...........
इसे,
डूब जाने दो...
आँख नम् है,
भींग जाने दो...
शाम प्यासी है...
ढल जाने दो,
थोड़ी उदासी है,
बिखर जाने दो,...
तारों का रंज ठहरा,
झिलमिलाने दो...
दबे गुलाब मचल गए....
महमहाने दो...
खिड़कियाँ मौन हैं,
कुछ
हवा आने दो....
बेरंगी आसमान पर,
नए,
रंग,
छाने दो...
सवाल हो चुके हैं,
जवाब आने दो,
पूरी किताब हुयी,
हिसाब आने दो,...
उधड़ गया एकतारे का,
एकलौता तार भी,
धूल इस पार की,
पहुंची उस पार भी,
साँसे दो चार भी
ना मिल सकी उधर की,
आगे की बात हम ना
कह सके प्यार की....
अनत रूप अधिकार, ह्रदय अक्ष पर सर्प सा,
प्रेम पीर आधार, सौ प्रपंच की जद भले,
व्यापक व्याकुल प्रेम, जिनके हृद वे अति विकल,
किन्तु रसिक का नेम, दिय बाती सो जोड़ इहि...........