तुम्हारी ही नज़र में आग है बाकी तो पानी है,
नही लेना ससुर से कुछ तो केवल कार आनी है,
तुम्हारी जीभ से होती मोहब्बत की है बारिश,
बहन की गालियाँ देने की बस आदत पुरानी है,
अहिंसा की गली के बीच में है घर तुम्हारा पर,
मगर बीवी को जूता मार कर इज्जत कमानी है,
पड़ोसन देख कर छत पर टंगे रहते तेरे कुर्ते,
मगर बच्ची को कितना पहनने की आनाकानी है,
जलाते मोमबत्ती दो जगह कोठे , दुराहे पर,
कहीं भाषण कहीं पर नथ उतर बोली लगानी है,
भले फूलों की खुशबू से न क्यों प्यारा लगे गुलशन,
मगर उनको मसलने की जो आदत खानदानी है........
नही लेना ससुर से कुछ तो केवल कार आनी है,
तुम्हारी जीभ से होती मोहब्बत की है बारिश,
बहन की गालियाँ देने की बस आदत पुरानी है,
अहिंसा की गली के बीच में है घर तुम्हारा पर,
मगर बीवी को जूता मार कर इज्जत कमानी है,
पड़ोसन देख कर छत पर टंगे रहते तेरे कुर्ते,
मगर बच्ची को कितना पहनने की आनाकानी है,
जलाते मोमबत्ती दो जगह कोठे , दुराहे पर,
कहीं भाषण कहीं पर नथ उतर बोली लगानी है,
भले फूलों की खुशबू से न क्यों प्यारा लगे गुलशन,
मगर उनको मसलने की जो आदत खानदानी है........