और जब आखिरी रात आती है,
कल अलग होना है ये बात
सोने नहीं देती
कल अलग होना है ये बात
सोने नहीं देती
न तो अलग होता है आखिरी पन्ना
डायरी का जिसमे लिखी कवितायेँ तुम्हारे लिए
मैं वो आखिरी पन्ना फाड़ना चाहता हूँ
बस पता नहीं कैसे हाथ सुन्न हो जाता है
डायरी का जिसमे लिखी कवितायेँ तुम्हारे लिए
मैं वो आखिरी पन्ना फाड़ना चाहता हूँ
बस पता नहीं कैसे हाथ सुन्न हो जाता है
यकायक बूँदें धुंधली कर देती हैं स्याही
आँखों से फिसल कर लिख देती हैं
हमारे और तुम्हारे बीच की कोई बात
जो कोई और देख भी ना सके।
आँखों से फिसल कर लिख देती हैं
हमारे और तुम्हारे बीच की कोई बात
जो कोई और देख भी ना सके।
पाना तो कुछ है नहीं
कमबख्त खोने भी नहीं देती...
तुम्हारे बिन ये आखिरी रात
सोने नहीं देती....
कमबख्त खोने भी नहीं देती...
तुम्हारे बिन ये आखिरी रात
सोने नहीं देती....
और जब बंद करना चाहता हूँ किताब के वे पन्ने
जिनके कोर तुम्हारी अँगुलियों को छूकर मुड़ गये थे,
पता नही क्या हो जाता है मेरी अँगुलियों को
पन्ने पलट तो जाते हैं
ख्वाब उलट तो जाते हैं
जाने कौन सी बेहया हवा
किताब बंद होने नहीं देती
कल अलग होना है ये बात
सोने नहीं देती।
जिनके कोर तुम्हारी अँगुलियों को छूकर मुड़ गये थे,
पता नही क्या हो जाता है मेरी अँगुलियों को
पन्ने पलट तो जाते हैं
ख्वाब उलट तो जाते हैं
जाने कौन सी बेहया हवा
किताब बंद होने नहीं देती
कल अलग होना है ये बात
सोने नहीं देती।
और जब मैं निकलने को होता हूँ
पसीने पसीने लथपथ सा
पोंछता हूँ बार बार अपना माथा
ना तो गर्मी कम होती है
न आँखों का पसीना
न सर की जलन
सारी नमी
और पोंछने की हर कोशिश
वो काला निशान
शायद तुम्हारे काजल का
मिटने नहीं देती....
कल अलग होना है ये बात
सोने नहीं देती..........
पसीने पसीने लथपथ सा
पोंछता हूँ बार बार अपना माथा
ना तो गर्मी कम होती है
न आँखों का पसीना
न सर की जलन
सारी नमी
और पोंछने की हर कोशिश
वो काला निशान
शायद तुम्हारे काजल का
मिटने नहीं देती....
कल अलग होना है ये बात
सोने नहीं देती..........
